Ranchi : करीब 150 से 200 लोगों के भरोसे का खून कर करोड़ों का माल पचा लेने वाला शातिर अब CID के पंजे में है। इस शख्स का नाम अमित जायसवाल बताया गया। अमित जायसवाल दिल्ली के विकासपुरी थाना क्षेत्र के शंकर गार्डन का रहने वाला है। उसके पास से CID ने तीन मोबाइल फोन, तीन सिम कार्ड और ब्लाकचैन वॉलेट ऐड्रेस (जिस पर निवेशकों द्वारा पैसा भेजा गया है) बरामद किया गया है। इस बात का खुलासा आज CID के DG अनुराग गुप्ता ने मीडिया के सामने किया। DG ने बताया कि CID की साइबर क्राइम थाना में बीते साल 2023 के नौ नवंबर को एक मामला दर्ज कराया गया था। शिकायतकर्ता ने बताया था कि शुरू में निवेश करने पर गोल्ड बॉन्ड के जरिये शशि शंकर कुमार उर्फ विक्की ने उन्हें प्रॉफिट दिलाया। इस चलते वह आरोपी शशि पर भरोसा करने लगे। इसके बाद शशि के दोस्त अमित जायसवाल के जरिये शिकायतकर्ता को क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर अधिक पैसे कमाने के लिए कहा गया। शशि शंकर कुमार को बिहार के मुजफ्फरपुर से गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
इन दोनों के झांसे में आने के बाद लोग ज्यादा निवेश करने लगे। निवेशकों को प्राथमिक निवेश पर कहे अनुसार 300 प्रतिशत तक मुनाफा वापस किया गया, जिससे दोनों ने निवेशकों का भरोसा पूरी तरह जीत लिया। निवेशक अन्य लोगों को भी इस मुनाफे के स्कीम से जुड़ने के लिए प्रेरित करने लगे। इसी दौरान शंकर कुमार उर्फ विक्की, अमित जायसवाल और उनके अन्य सहयोगी ने झारखंड के रांची, बोकारो, जमशेदपुर एवं अन्य शहरों में कई बड़े-बड़े आयोजन होटलो में किये। सारे कार्यक्रम OROPAY कम्पनी के बैनर तले किये गये। अचानक एक दिन OROPAY के फर्जी वेबसाइट को बंद कर दिया गया। निवेशकों को तब जोर का झटका लगा जब उन्हें पता चला कि वे बुरी तरह ठगे गये हैं। वहीं, उनकी मेहनत की कमाई से शातिर विक्की और अमित अपने साथियों के साथ दुबई और रूस में गुलछर्रे उड़ाता रहा।
डीजी ने बताया कि इसी क्रम में आरोपितों ने डीजीएफआई-ओपे नाम का टोकन लॉन्च किया, जिसके जरिये इन्वेस्टर को ट्रस्ट वायलेट पर इन्वेस्ट करने को कहा गया। इस बीच इन्वेस्टर्स ने खरीदे हुए टोकन को बेचना चाहा तो उसका वैल्यू जीरो हो गया। केवल झारखंड में करीब 150-200 लोगों से लगभग 4-5 करोड़ रुपये की ठगी की जा चुकी है। अब तक के अनुसंधान और पूछताछ में खुलासा हुआ कि विभिन्न बैंकों में भेजे गये पैसे को क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर विभिन्न ब्लाकचैन वॉलेट ऐड्रेस पर भेज दिया जाता था।
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