इंदौर। देश का सबसे स्वच्छतम शहर स्वच्छता के मामले में ही नहीं, अंगदान के क्षेत्र में देश के लिए उदाहरण बन गया है। यहां सोमवार सुबह करीब 11.00 से 11.30 बजे तक एक साथ चार ग्रीन कॉरिडोर बने। रतलाम कोठी निवासी 52 वर्षीय विनीता पत्नी सुनील खजांची के ब्रेनडेथ घोषित होने के बाद उनका लीवर, दोनों किडनियां, फेफड़े और एक हाथ अलग-अलग मरीजों में प्रत्यारोपित करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भेजे गए।
मुस्कान ग्रुप के सेवादार जीतू बागानी ने बताया कि विनीता खजांची को गत 13 जनवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां लगातार उपचार के बाद भी उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। रविवार दोपहर करीब डेढ़ बजे मरीज को पहली बार और फिर रात करीब साढ़े आठ बजे दूसरी बार ब्रेनडेथ घोषित किया गया।
इससे पहले जून 2022 में विनीता खजांची के ससुर की मृत्यु के बाद उनकी आंखें, त्वचा और देहदान हुआ था। परिवार अंगदान का महत्व पहले से जानता था, इसलिए उन्हें विनीता के अंगदान के लिए तैयार करने में कोई परेशानी नहीं आई।
उन्होंने बताया कि सोमवार को उनके अंगों को दूसरे अस्पतालों में भेजने के लिए चार ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। पहला ग्रीन कॉरिडोर बांबे अस्पताल से एयरपोर्ट तक बनाया गया। महिला का हाथ अस्पताल से एयरपोर्ट 17 मिनट में पहुंचा दिया गया। इसके बाद महिला के फेफड़ों को दूसरा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सिर्फ 15 मिनट में एयरपोर्ट भेजा गया। सिर्फ पांच मिनट में तीसरे ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से महिला की एक किडनी सीएचएल अस्पताल में भेजी गई, जबकि दूसरी किडनी बांबे अस्पताल में ही भर्ती मरीज को प्रत्यारोपित की गई है। चौथा ग्रीन कॉरिडोर बांबे अस्पताल से चोइथराम अस्पताल तक बनाया गया। इसके माध्यम से महिला का लीवर भेजा गया। महिला का हाथ मुंबई के ग्लोबल अस्पताल में भर्ती किशोरी को प्रत्यारोपित किया गया। वहीं, उसके फेफड़े चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती मरीज में प्रत्यारोपित किया जाना है।
महात्मा गांधी मेडिकल कालेज के डीन डा. संजय दीक्षित ने बताया कि यह पहला मौका है, जब हमने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर किसी ब्रेनडेथ मरीज का हाथ प्रदेश के बाहर भेजा है। उन्होंने बताया कि परिजन महिला का पैर भी दान करना चाहते थे, लेकिन तकनीकी कारणों से यह संभव नहीं हो सका।
भावुक हो गई बेटी, कहा- मां की इच्छा पूरी की
अंगदान के बाद जब ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए तो बांबे अस्पताल में माहौल बहुत गमगीन था। विनीता खजांची के अंगदान करते वक्त परिजन बहुत भावुक हो गए थे। अमेरिका से आई विनीता खजांची की बेटी ने रुंधे गले से कहा कि मेरी मां की इच्छा थी कि उनका अंग किसी न किसी के काम आए। हमें संतोष इस बात का है कि हम उनकी इच्छा पूरी कर सके।