डॉ अरुण एस नायर मूल रूप से केेेरल के रहने वाले हैं. कोल्लम के सरकारी स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की. वहीं डॉक्टरी की परीक्षा में उन्होंने स्टेट फोर्थ रैंक हासिल की. इसके बाद एमबीबीएस डिग्री 2017 में पूरी की. फिर वहां से यूपीएससी की तैयारी का मन बनाया. एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखता था लेकिन उनका सपना डॉक्टरी में आने के बाद बदल गया. बता दें कि डॉ अरुण के पिता सेना से रिटायर हैं और मां हाउसवाइफ हैं, वहीं बहन अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं.
अरुण ने तीसरे अटेंम्प्ट में इस परीक्षा को पास किया. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पहली बार तब दी थी, जब वो अपनी मेडिकल की पढ़ाई के फाइनल इयर में थे. तभी अचानक उनके मन में यूपीएससी ज्वाइन करने का ख्याल आया था. तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल से एमबीबीएस पूरा करने वाले अरुण ने बताया कि हाउस सर्जेंसी के दौरान ही मैंने सिविल सेवा में करियर के बारे में सोचना शुरू कर दिया था. उस समय तक मुझे चिकित्सा पेशा थोड़ा नीरस लग रहा था और मैं कुछ अधिक विविधतापूर्ण और चुनौतीपूर्ण करना चाहता था.
गांव में पले-बढ़े और एक सरकारी स्कूल में पढ़े अरुण ने कहा कि आमतौर पर मलयालम माध्यम के छात्र कम आत्मविश्वास महसूस करते हैं, खासकर जब यह उनके अंग्रेजी बोलने वाले कौशल की बात आती है. मुझे भी शुरुआत में हिचकिचाहट हुई, लेकिन जल्द ही इस पर काबू पा लिया. अरुण कहते हैं कि अगर इंसान के पास जुनून और दृढ़ संकल्प है तो कुछ भी उसके रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकता. उन्होंने भी डॉक्टरी पूरी करने के बाद तीसरे प्रयास में ये परीक्षा निकाली. कई लोग एक या दो प्रयास में ही टूट जाते हैं. ऐसे में जब अरुण के सामने डॉक्टरी का करियर था, तब भी वो अपने जुनून में अड़े रहे और तीसरे प्रयास में इसे कर दिखाया.
अरुण एस नायर की स्ट्रेटजी की बात करें तो उन्होंने चिकित्सा विज्ञान को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुना था. उस वक्त उनका पक्का इरादा था कि वो मडिकल साइंस को ही अपने ऑप्शनल में लेंगे. लेकिन उन्हें इसकी कोचिंग नहीं मिल पाई, जिसके चलते इस विषय को उन्होंने सेल्फ स्टडी के जरिये ही तैयार किया.