सीतापुर। धोखाधड़ी के मामले में रामपुर से सपा सांसद आजम खान, पत्नी और बेटे संग सीतापुर जेल में बंद हैं। आजम जेल में एसी, मोबाइल और वो सारी सुविधाएं चाहते है, जो जेल में लाना बिल्कुल प्रतिबंधित है। इस पर आजम जेल प्रशासन पर आतंकवादी जैसे सलूक होने की बात कह रहे हैं। इन सब बातों को निराधार बताते हुए जेल अधीक्षक का कहना है कि हम उन्हें वह सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं जो एक वीवीआईपी को दी जाती हैं।
यह जेल नियम के विरुद्ध है। आजम खान को यह सोचना चाहिये कि 1878 की बनी सीतापुर की इस जेल में एसी कमरे नहीं है, हम उनको एसी नहीं उपलब्ध करा सकते। वीवीआईपी होने के कारण जेल प्रशासन जेल मैनुअल के हिसाब से उनकी देखरेख कर रहा है।
आजम खान और उनकी पत्नी को कमर में दर्द होने के कारण उन्हें शौच के लिए कमोड की व्यवस्था की गई है। पिता पुत्र दोनों को एक साथ रखा गया है और उनकी देखरेख के लिए दो व्यक्तियों को हर समय के लिए लगाया गया है। उन्हें अच्छा खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम जेल में मोबाइल नहीं उपलब्ध करा सकते, कोई भी नुकसान पहुंचाने वाली चीज नहीं दे सकते हैं। जेल मैनुअल के हिसाब से जो कुछ हो सकता है वह सब किया जा रहा है।
मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल के हिसाब से सप्ताह में तीन दिन मुलाकात ही संभव हो सकेगी। एक व्यक्ति सप्ताह में तीन दिन मिल सकता है। तीन लोग अगर है तो सप्ताह में 9 लोग ही मिल सकते हैं। हम नियम और कानून से बंधे हुए हैं। जेल अधीक्षक ने कहा कि आजम खां के ऊपर मनोवैज्ञानिक असर है। उन्हें लगता है कि हम कहां रहते थे और कहां आ गए। यह बात को लेकर आजम सोचते रहते हैं और कोई बात नहीं है, उनकी पूरी देखरेख जेल मैनुअल के हिसाब से की जा रही है।
इंतकाम के जज्बे से काम कर रही भाजपा
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन रविवार को आजम खान से मिलने के लिए जेल पहुंचे। मुलाकात करने के बाद जेल से बाहर निकलने पर उन्होंने भाजपा को घेरते हुए कहा कि भाजपा इंतकाम के जज्बे से काम कर रही है। आजम खान और उनके परिवार को जेल के अंदर हर तरीके की तकलीफें दी जा रही हैं। पहले ही सरकार ने उन पर फर्जी मुकदमे लगाए हैं और अब जेल में इंसानियत को शर्मसार करने वाला कार्य सरकार के इशारे पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि अदालत से आजम को न्याय जरूर मिलेगा। सीतापुर की जेल सहित प्रदेश में जंगलराज देखने को मिल रहा है, प्रजातंत्र के लिए यह शुभ लक्षण नहीं है। अहमद हसन ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपेंगे।