नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद हड़ताल के दौरान हुई हिंसा के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने दिल्ली के सभी बार एसोसिएशन से हड़ताल वापस लेने का आह्वान किया है। बीसीआई के चेयरमैन मनन मिश्रा ने पत्र लिखकर कहा है कि कोर्ट परिसर में हिंसा तुरंत बंद हो।
बीसीआई ने कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ बार एसोसिएशन ऑफ दिल्ली को लिखे पत्र में कहा है कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आपने न्यायिक जांच की मांग की थी और हाईकोर्ट ने न्यायिक जांच का आदेश दे दिया है। बीसीआई ने कहा कि हमने कोर्ट से आरोपी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने की मांग की थी जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच से दिल्ली पुलिस अलग हो गई है और जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में बनी जांच कमेटी को आईबी, सीबीआई और विजिलेंस सहयोग करेगा। ऐसी स्थिति में कोआर्डिनेशन कमेटी का हड़ताल जारी रखने का फैसला औचित्यहीन है। सीबीआई ने कहा है कि बार एसोसिएशन को इसके कानूनी पहलुओं पर विचार करना चाहिए ताकि हम आम लोगों की नजरों में हंसी का पात्र न बनें।
बीसीआई ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली बार काउंसिल के सभी बड़े नेता खुश थे। लेकिन 24 घंटे में ही क्या बदल गया? क्या बार एसोसिएशंस के चुनाव नजदीक हैं जिसकी वजह से हड़ताल जारी रखा जा रहा है? बीसीआई ने कहा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हमें सही फैसला लेना चाहिए। न्यायिक जांच के दौरान ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे असहज स्थिति पैदा हो। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि किसी वकील को दोषी नहीं ठहराया जाए। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद हड़ताल के दौरान साकेत कोर्ट में हिंसा की गई। पत्रकारों के साथ बदतमीजी की गई।
पिछले 3 नवम्बर को भी बीसीआई ने सभी वकीलों से 5 नवम्बर से काम पर लौटने की अपील की थी। लेकिन 4 नवम्बर को कोआर्डिनेशन कमेटी ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान कर दिया।