नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस नई नीति पर मंजूरी की मोहर लगा दी गई। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश को सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। इसके लिए व्यापक विचार-विमर्श किया गया है।
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी दी। इसके प्रमुख बिंदू हैं- शिक्षा के कई स्तरों पर क्रेडिट मिलेगी, चार साल की पढ़ाई के बाद सीधा रिसर्च में जा सकेंगे, कई विधाओं में एकसाथ शिक्षा प्राप्त की जा सकेगी, कॉलेजों को ग्रेड के आधार पर वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता दी जाएगी। उच्च शिक्षा के लिए एक नियामक होगा। उसमें आगे कई व्यवस्था होगी। स्वयं जानकारी देने की पारदर्शी व्यवस्था होगी।
डीम्ड, राज्य और केन्द्र सभी के विश्वविद्यालय में एक ही मानक स्तर होंगे। जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च होगा, 4.43 प्रतिशत वर्तमान में है। राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में फंडिंग होगी। देश की उच्च शिक्षा को उच्च स्तरीय बनाया जाएगा, ताकि विश्व के अन्य संस्थानों की बराबरी हो। तकनीक को शिक्षा में शामिल किया जाएगा। साथ ही सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई पीछे न छूटे। देश की प्रमुख 8 भाषाओं में ऑनलाइन ई-कोर्स विकसित की जाएगी। वर्चुअल लैब बनाई जाएगी।
इसके अलावा पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम जारी किया जाएंगे। बुनियादी शिक्षा के आधार पर तीसरी कक्षा तक पढ़ाई होगी। 5+3+3+4 के आधार पर शिक्षा होगी। अभी तक 1 से 10वीं और बाद में उच्च शिक्षा है। पांच साल तक पूर्व प्राथमिक शिक्षा होगी। कक्षा 6 से कोडिंग सिखाई जाएगी। सभी स्तरों पर कला और खेल की शिक्षा भी दी जाएगी। सर्व समावेशी शिक्षा होगी, जिसमें दिव्यांग और तेज बच्चों पर भी ध्यान दिया गया है।
बालिका विद्यालयों को 12वीं तक बढ़ाया जाएगा। पाठ्यक्रम को जरूरी तक सीमित किया जाएगा। वोकेशनल 6 साल से शुरू होगा। इंटरनशिप भी शामिल होगी। पहले तीन वर्ष के लिए अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी। बोर्ड परीक्षा का भार कम करने की कोशिश की जाएगी। रटने की बजाए शिक्षा के उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा।
पांचवी से आठवीं तक मातृ व क्षेत्रीय भाषा में शिक्षाा दी जाएगी। स्वयं, सहपाठी और शिक्षक के साथ रिपोर्टकार्ड बनेगा और हर वर्ष रिपोर्ट कार्ड में योग्यता में विकास के सुझाव दिए जाएंगे।
बच्चे को परखने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। किताबें पढ़ने पर जोर दिया जाएगा।