मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा है कि धर्म व्यक्ति को जोड़ता है, तोड़ता नहीं। धर्म, पुरुषार्थ की पूर्ति करते हुए अनुशासन के मार्ग से होते हुए लोगों को मोक्ष की ओर ले जाता है। सृष्टि को परमात्मा से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण धागा धर्म ही है। डॉ भागवत ने यह बातें मंगलवार को विलेपार्ले स्थित संन्यास आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा कि आज के समय में हमें धर्म के कई रूप देखने को मिल रहे हैं। विश्व में सभी का दुख दूर हो और सभी जगह प्रकाश फैले, इसलिए धर्म का पालन करना चाहिए। आदि शंकराचार्य की वैदिक परंपरा भी इसी तरह की सीख देती हैं। भारत में इस परंपरा को बताने वाले बहुत से महान गुरु हैं, जो हर संप्रदाय में इसी मूल मंत्र को बताते हैं।
सरसंघचालक ने कहा कि स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने कहा था कि हमें अपने पूर्वजों की गलतियों का आज आदरपूर्वक विरोध करना चाहिए। समय के साथ धर्म में परंपराओं में गलतियां अंतर्भूत हो गई थीं। दर्प बढ़ गया था लेकिन आदि शंकराचार्य ने उन सभी गलतियों को सुधारकर धर्म को फिर से शुद्ध रूप में विकसित किया। हम प्रकृति का एक भाग हैं, यह भूलने की वजह से ही आज विश्व में पर्यावरणीय समस्या हमारे सामने खड़ी है।
डॉ भागवत ने कहा कि पहले मानव का प्रकृति की ओर देखने का दृष्टिकोण कृतज्ञतापूर्ण रहता था। इसी वजह से हजारों वर्ष से प्रकृति अन्नधान्य की हमारी पूर्ति करती रही है। इस दौरान यह कहना कठिन होगा कि किसका शोषण नहीं हुआ। पहले देश की आर्थिक व्यवस्था विश्व में पहले क्रमांक पर थी लेकिन अब शोषण का असर उस पर भी हुआ है।
इस अवसर पर संन्यास आश्रम के व्यवस्थापक महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी, स्वामी हृदयानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती और महामंडलेश्वर गुरुशरणानंद ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में भाजपा विधायक पराग अलवणी और पूर्व उप महापौर अरुण देव आदि भी उपस्थित रहे।