नई दिल्ली। देश के उत्तरी क्षेत्र के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों से मानसून की औपचारिक विदाई के साथ ही जाड़े के मौसम का आगाज शुरु हो गया है। आगामी जाड़े की सीजन में जहां कड़ाके की ठंड पड़ेगी, वहीं सर्दी मौसम के लंबा होने का अनुमान है। हवाओं में घटती आर्द्रता, सूखी तेज हवाएं और साफ होते आसमान से ठंड की आहट शुरु हो जाती है, जो हो चुकी है।
मानसून के लौटने के साथ ही आकाश से बादल गायब हो चुके हैं। इससे दिन में चटक धूप के बावजूद उमस कम हो गई है। लेकिन रात के तापमान में गिरावट का रुख है। सर्दी के मौसम के शुरु होने के इन्हीं तथ्यों को संकेतक कहा जाता है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि 15 अक्तूबर से दिन के तापमान में भी कमी आने लगेगी, जिसके बाद जाड़े की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी।
सर्दी का मौसम हो सकता है लंबा
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जीपी शर्मा का कहना है कि हवाओं का रुख बदलने लगा है। निम्न दवाब वाले उत्तरी क्षेत्रों में अब उच्च दबाव की वजह से हवाओं की रफ्तार बढ़ी है। बीती रात सूखी तेज हवाएं चलीं। स्काईमेट वीदर सर्विस से जुड़े वैज्ञानिक शर्मा ने विस्तार से इस बारे में बताया कि इस समय ‘ला नीना’ की स्थिति बन रही है। इसके चलते जहां सर्दी का मौसम लंबा हो सकता है वहीं ठंड भी कड़ाके की पड़ सकती है। इसी वजह से मानसून की बारिश भी पूरे देश में सामान्य से ज्यादा हुई है। जबकि अल नीना की स्थिति में इसका उल्टा होता है।
उत्तरी पहाड़ी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी मध्य प्रदेश से मानसून लौट चुका है। हालांकि पिछले साल दिल्ली व आसपास से मानसून की विदाई 10 अक्तूबर को हुई थी लेकिन इस बार बहुत पहले हो गई। ऐसे में ठंड के मौसम की शुरुआत भी पहले होनी तय है। दरअसल, दिल्ली में अक्तूबर माह में लौटते समय मानसून की 40 से 50 मिलीमीटर बारिश होती रही है। लेकिन इस बार इसकी संभावना बिल्कुल नहीं है।
खेती बाड़ी की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण
आगामी जाड़े का मौसम खेती बाड़ी की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। इस बारे में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ व्हीट एंड बारले रिसर्च के निदेशक डॉक्टर जीपी सिंह का कहना है कि ठंडी की जल्दी शुरुआत और जाड़ा सीजन के लंबा होने का सकारात्मक असर रबी सीजन की फसलों की उत्पादकता पर पड़ेगा। मानसून की अच्छी बारिश से मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की मिट्टी में नमी पर्याप्त है, जिससे वहां गेहूं की खेती पहले हो सकती है। दूसरी दलहन व तिलहनी फसलों की खेती भी मिट्टी की प्राकृतिक नमी में हो जाएगी। इसके विपरीत उत्तरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सितंबर में सामान्य से कम बारिश हुई है। इसी वजह से उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों में जल का स्तर सामान्य से कम हो गया है। गेहूं उत्पादक इन राज्यों में खेती 100 फीसद सिंचित है। लेकिन ठंड का सीजन लंबा खिंचने से गेहूं की उत्पादकता बढ़ सकती है।