ब्रजेश कुमार, जिला व्यूरो
खूँटी (स्वदेश टुडे)। जिले के ऐतिहासिक प्रसिद्ध सोनमेर मंदिर में कल पुर्णिमा की रात से दूसरे दिन वृहस्पतिवार को पूरा दिनभर मेला लगेगा। प्रसिद्ध सोनमेर में पुर्णिमा के दूसरे दिन लगने वाला मेला काफी प्रसिद्ध है। यहाँ दूर दूर से मेला देखने आते हैं। और उसी दिन भैंसा की बलि भी दी जाएगी।
इस आस्थावान माँ दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर परिसर में लगनेवाले मेले में भैंसा की बलि दी जाती है। इसके पहले पाठा और बकरे की बलि दी जाती है। इस बलि को देखने लोग काफी दूर दूर से आते हैं। और दूसरे दिन मेला लगता है। इस बार भी यह प्रथा के साथ मेला लगेगा।
इस प्रसिद्ध मंदिर का इतिहास लगभग 300 वर्ष पुराना है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं पूर्व में सोनमेर माता जो मां दुर्गे के रूप है गुड़-गुड़ गढ्ढा में प्रकट हुई थी कुछ समय बाद गांव के ही स्वर्गीय चतुर शिखर को सपना आया और गांव वालों के साथ विचार कर माता को सन 1917 ई0 में सगड़ गाड़ी से सोनमेर टोंगरी में ले जाकर स्थापित कर पूजा किया जाने लगा। उनके मरने के बाद उनके वंशजों एवं गांव के सभी सदा समुदाय एवं मुंडा पवन महतो दल बढ़ाई समुदाय के लोग के द्वारा मंदिर व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए समिति बनाकर पूजा अर्चना किया जाने लगा। जो भी लोग यहां आकर सच्चे मन से पूजा करते और मुराद मांगते उनकी मुराद मां पूरी करती है। आरम्भ में यहाँ झोपड़ीनुमा मंदिर का रूप था वहीं गाँव वाले जनसमुदाय की मदद से 1980 में इसे पत्थर से जुड़ाई कर मंदिर का रूप दिया गया। आज मां की ख्याति इतनी विख्यात हो चुकी है कि कई राज्यों से भक्त यहाँ पूजा कर अपनी मुराद मांगने आते हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष किशोर बड़ाईक ने बताया कि दशहरा के बाद आशिन पूर्णिमा की दूसरे दिन एक भैंसा और बकरे की बलि दी जाती है ।जरिया राजा की अनुमति पर दशहरा के पांच दिन बाद आशिन पूर्णिमा को यहां मेला लगाया जाता है। और माँ को बलि दी जाती है। मेले के दिन कई जिलों से लोग यहां आते हैं और मां का दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं और मेले का लुफ्त उठाते हैं। आशिन पूर्णिमा के रात से मेला शुरू होता है और दूसरे दिन शाम तक लगा रहता है। मेले के दूसरे दिन स्वर्गीय चतुर शिखर के वंशज भरत शिखर द्वारा पहला पूजा कर पहले रक्षा कोहढा़ और फिर बकरे की बलि दी जाती है। उसके बाद ही अन्य बलि दी जाती है। इस दिन एक काड़ा की भी बलि दी जाती है जिसे समिति द्वारा दिया जाता है। इस वर्ष अशिन पूर्णिमा के दूसरे दिन गुरुवार को सोनमेर मेला लगाया जाएगा। समिति के अध्यक्ष किशोर बालक ने बताया कि इस बार कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए समिति के द्वारा भक्तों की सुविधा के लिए विधि व्यवस्था की तैयारी की गई जा रही है ताकि भक्तजन शांतिपूर्ण मां का दर्शन कर आशीर्वाद ले सकें।