रांची। झारखंड में कोविड-19 के कारण लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने में मोबाइल ऐप सहायक बना हुआ है। ग्रामीण विकास विभाग ने मिशन सक्षम मोबाइल ऐप के जरिए इन प्रवासियों के कौशल की पहचान, रुचि एवं अन्य जानकारी सर्वेक्षण के जरिए एकत्रित की गई। इस सर्वेक्षण के जरिए अब तक करीब 4.56 लाख प्रवासियों का डाटाबेस तैयार किया जा चुका है। अब इनको रोजगार दिए जाने की पहल प्रारंभ कर दी गई है।
ग्रामीण विकास विभाग की सचिव अराधना पटनायक बताती हैं कि सर्वेक्षण के मुताबिक, कुल प्रवासियों का 37.2 फीसदी लोग खेती में रुचि रखते है और कृषि आधारित आजीविका की शुरुआत करने को इच्छुक है, वहीं 13.8 फीसदी प्रवासियों ने पशुपालन को रोजगार का साधन बनाने की इच्छा जताई है। उन्होंने बताया कि 3.42 लाख लोग मनरेगा के तहत काम करने को इच्छुक हैं।
उन्होंने कहा कि गांव में कोविड आपदा से राहत के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सीधे सखी मंडल की महिलाओं के जरिए लाखों परिवारों को आर्थिक मदद भी पहुंचाई गई। हाल ही में मुख्यमंत्री के द्वारा राज्य की 50 हजार सखी मंडलों को 75 करोड़ की राशि चक्रिय निधी के रूप में उपलब्ध कराई गई थी। इसी क्रम में अब तक 80 हजार सखी मंडलों को 120 करोड़ की राशि चक्रिय निधी के रूप में उपलब्ध कराई गई है, इससे राज्य के करीब 10 लाख परिवारों को लाभ मिला।
इधर, ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सीईओ राजीव कुमार ने बताया कि सचिव आराधना पटनायक के निर्देश पर वैसे प्रवासी जो कृषि, पशुपालन एवं अनुषंगी क्षेत्रों से जुड़कर स्वरोजगार करना चाहते है उनको राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा जा रहा है, जिससे फौरी तौर पर राहत मिल सके।
उन्होंने कहा, ” इच्छुक प्रवासी महिलाओं को सखी मंडल में जोड़कर आजीविका के साधनों से जोड़ने की तैयारी है। इसी कड़ी में इच्छुक प्रवासियों को खेती की गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है जिसके तहत उनको बीज उपलब्ध कराया जा चुका है।”
उन्होंने आगे बताया, “राज्य में अरहर, मक्का, मिलेट, उड़द, मूंग, मूंगफली समेत बीज वितरण एवं किचन गार्ड किट सखी मंडल की बहनों को उपलब्ध कराया जा रहा है जिसमें प्रवासियों के परिवार को भी शामिल किया गया है।” राजीव दावा करते हुए कहते हैं कि अब तक राज्य भर में 4370.49 कुंतल बीज वितरण किया जा चुका है।
कोविड-19 आपदा की घड़ी में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सखी मंडल की महिलाएं अपने परिवार के भरण-पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चतरा के प्रतापपुर प्रखंड के नारायणपुर का प्रवासी विजय भुइंया रांची में ऑटो ड्राइवर की नौकरी करते थे। लॉकडाउन के वजह से नौकरी गई तो पत्नी कविता देवी ने दुर्गा आजीविका सखी मंडल के जरिए क्रेडिट लिंकेज से ऋण लेकर पति के ऑटो खरीदने का सपना पूरा किया। आज वो आत्मनिर्भर हैं और ऑटो चला रहे है। इसके अलावा, भी कई महिलाएं हैं, जो आज खुद परिवार के लिए आगे आई हैं।