चरही| पिछले वर्ष जब लॉकडाउन लगा था तो देश की आर्थिक वृद्धि दर माईनस में चली गयी। जिससे देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ था। परन्तु नए वर्ष के साथ संक्रमण में कमी के संकेत से व्यापार और उधोग को घाटे से उबरने की उम्मीद थी। अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ ही रही थी की परंतु मार्च माह के अंत में कोरोना की दूसरी लहर देश मे सक्रिय हो गयी और सरकार को कपड़ा दुकानों को प्रतिबंधित करना पड़ा, जिसके कारण व्यापार की बढ़िया चलने की उम्मीद धरी की धरी रह गयी। कुछ यही हाल प्रखण्ड के कपड़ा व्यपारियों का है। चरही सहित चुरचू प्रखण्ड की रेडीमेड और कपड़ो की दुकानें लॉकडाउन के कारण बंद है जिसके कारण इन दुकान मालिकों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बाजार में सुधार देख लगा दिए लाखो रुपये।
इस बर्ष की पहले तिमाही में बाजार में सुधार आता देख कपड़ा व्यापारियों ने लाखो रूपये का निवेश कर दिया| ज्यादातर व्यापारियों ने इस बार क्रेडिट पर माल उठाया है। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार त्योहारों और विवाह का सीजन अच्छा गुजरेगा। पिछले वर्ष विवाह और अन्य उत्सव फीका रहा था जिसके कारण इस बार जम कर खरीदारी होने की आश लागये दुकानदार बैठे थे। इसलिए उन्होंने कई किस्म के कपड़ो का संग्रह भी कर लिया था। परंतु पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी उनके व्यापार पर कोरोना का ग्रहण लग गया। विवाह और त्योहारों के नजदीक आते ही संक्रमण ने भी तेजी पकड़ ली। व्यापारियों ने जिस अवधि के लिए क्रेडिट लिया था वह निकलता जा रहा है। उनपर महाजन को समय पर पैसे देने का दबाब बना हुआ है।
क्या कहते है व्यापारी:-
- विनय वस्त्रालय – साल भर से हमलोग घाटे में चल रहे थे। संक्रमण के कम होने और बाजार में सुधार होने से हमलोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। परंतु दूसरी लहर ने ज्यादा नुकसान कर दिया।
- सागर गारमेन्ट – हमलोगों ने जो सोच कर निवेश किया उसका उलट हो गया। पिछले साल के नुकसान से उभरे भी नही थे की कोरोना ने दुबारा हमारी कमर तोड़ दी।
- नैशनल गारमेंट्स – एक तो पिछले साल भी हमलोगों ने माल खरीदा लेकिन बेच नही पाए। इस बार सबकुछ भूल कर जोखिम लेकर नया स्टॉक लाए लेकिन वो भी अब नही बिक पा रहा है।