युवराज सिंह की गिरफ्तारी के मामले को पुलिस ने शुरुआत में गुप्त रखा. उन्हें शनिवार को ही हरियाणा की हांसी पुलिस ने गिरफ्तार कर जांच में शामिल किया था. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी की जानकारी रविवार देर रात सामने आई. पुलिस ने युवराज को हिसार स्थित पुलिस विभाग के गजेटेड ऑफिसर मैस में बैठाकर पूछताछ की और मामले से जुड़े कुछ सवाल-जवाब किए. बाद में हाई कोर्ट के निर्देशानुसार युवराज सिंह को औपचारिक जमानत पर छोड़ दिया गया.
सोशल मीडिया पर वीडियो के वायरल होने के बाद युवराज सिंह ने बयान पर खेद भी व्यक्त किया था. उन्होंने ट्विटर पर कहा था कि मैं यह बात साफ कर देना चाहता हूं कि किसी भी तरह के भेदभाव में विश्वास नहीं रखता हूं. चाहे वह जाति, रंग, लिंग या मजहब का आधार पर हो. मैंने अपनी जिंदगी लोगों की भलाई के लिए लगाई है और आगे भी ऐसा ही करता रहूंगा. उन्होंने आगे कहा था कि अपने दोस्तों के साथ बातचीत के दौरान मैंने जो कहा उसे गलत तरीके से समझा गया. हालांकि, जिम्मेदार भारतीय नागरिक होने के नाते मैं यह कहता हूं कि अगर मैंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है तो उसके लिए खेद व्यक्त करता हूं.
शिकायतकर्ता का आरोप- पुलिस ने युवी को दिया वीआईपी ट्रीटमेंट
वहीं, शिकायतकर्ता रजत कलसन ने युवराज सिंह को हरियाणा पुलिस द्वारा वीआईपी ट्रीटमेंट देने के आरोप लगाए हैं. रजत ने बताया कि हम लोगों ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के युवराज सिंह को अंतरिम जमानत दिए जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है. अदालत मे अगली सुनवाई होगी.
अब युवराज सिंह के खिलाफ हांसी पुलिस अदालत में चालान पेश करेगी. बता दें कि जून 2020 में हांसी पुलिस को रजत कल्सन ने शिकायत दी थी, उसके बाद फरवरी 2021 में केस दर्ज हुआ था. हांसी पुलिस के पीआरओ सुभाष कुमार ने बताया कि युवराज सिंह की गिरफ्तारी शनिवार को की गई थी. इसके बाद उन्हें तफ्तीश में शामिल करते हुए बयान भी दर्ज किए गए. डीएसपी विनोद शंकर ने युवराज सिंह से पूछताछ की है. पूछताछ में शामिल होने के बाद युवराज सिंह चंडीगढ़ चले गए.