कानपुर : देसी गाय युगों से भारतीय जीवन की शैली का हिस्सा रही हैं। गाय और उनके बच्चे मानव जाति को खेतों में हल चलाने, सड़कों पर भार ढोने, घर पर दूध और मूत्र, गोबर के साथ-साथ दैनिक जीवन में कई अन्य उपयोगी कार्यों में मदद की है। देसी गाय को न केवल जानवर की दृष्टि से देखा जाता है बल्कि परिवार के एक अभिन्न सदस्य के रूप में माना जाता है। यह बातें रविवार को पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर द्वारा ग्राम औरंगाबाद में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत प्राकृतिक खेती में देशी गाय का योगदान विषय पर एक कृषक प्रशिक्षण एवं पशु टीकाकरण का आयोजन किया गया। किसानों को पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने बताया कि गाय का दूध व्यवहारिक रूप से बूढ़े एवं बच्चे सभी के लिए आवश्यक एवं पचनीय है।
डॉ. रामप्रकाश ने किसानों को बताया…
इसका दूध एसिडिटी को कम करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और दिमाग को तेज करता है। इस मौके पर केंद्र के अध्यक्ष डॉ. रामप्रकाश ने किसानों को बताया कि यह मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता बढ़ाने में सहायक है। गाय के गोबर की खाद एक प्राकृतिक खाद है और गाय के गोबर से कई अन्य जैविक खाद बनाई जा सकती है।
गाय आधारित प्राकृतिक जैविक खेती से मिट्टी की उत्पादकता में कई गुना वृद्धि हुई है। अब किसानों के लिए रसायनों और खतरनाक जहरीले पदार्थों से भूमि को दूषित किए बिना विविध फसलें लेना संभव है। इस मौके पर प्रगतिशील किसान चरण सिंह यादव, प्रेमशंकर एवं तेज सिंह सहित गांव के अन्य महिला एवं पुरुष मौजूद रहे।