– नोएडा, दिल्ली, मेरठ समेत झांसी में फैले थे तार
– यूपी-एमपी समेत दक्षिण भारत के लोग भी बने शिकार
झांसी। एमबीबीएस के लिए मेडिकल काॅलेज झांसी में भारत सरकार के कोटे पर प्रवेश दिलाने के नाम पर डेढ़ करोड़ से अधिक की ठगी करने वाले गिरोह का मण्डल पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया। गिरोह के 5 सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए पुलिस ने उनके कब्जे से नगदी,दर्जन भर से अधिक मोबाइल और यश बैंक की चैक बुक समेत तमाम प्रपत्र बरामद किए हैं। पुलिस को चर्म रोग विभाग के उन विभीषणों की तलाश है जिनके साथ मिलकर ये गिरोह पिछले कई वर्षों से इस ठगी को अंजाम दे रहा था।
पुलिस उपमहानिरीक्षक सुभाष सिंह बघेल व एसएसपी डॉ. ओपी सिंह को गोपनीय रुप से सूचना मिली थी कि महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज के चर्म रोग विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से एक शातिर गिरोह द्वारा अभ्यर्थियों को भारत सरकार के कोटे के तहत प्रवेश के नाम पर ठगा जा रहा है। अभ्यर्थियों से इसके एवज में 5 से 15 लाख तक की रिश्वत ली जाती थी। इस संबंध में 10 अक्टूबर 2019 को मथुरा निवासी वादी वीरसिंह व गांधीनगर बेलैरी कर्नाटक निवासी वादिया वी.ईश्वरा रेड्डी द्वारा तहरीर देकर मानस व कल्यान कुमार शर्मा आदि के विरुद्ध ठगी का मुकद्मा भी दर्ज कराया गया था। जिसमें बताया गया था कि सरकारी कोटे से एडमीशन के नाम पर उनसे 8 लाख और 2 लाख रुपए लिए गए थे। पुलिस को सोमवार सुबह करीब साढ़े 11 बजे सूचना मिली कि ठगी को अंजाम देने वाले गिरोह के कुछ लोग मेडिकल बाईपास पर खड़े हैं। सूचना पर पहुंची पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्त में आए लोगों ने अपने नाम करन सिंह मूल निवासी उल्दन हाल निवासी नई बस्ती मऊरानीपुर, दीपक सिंह निवासी मालथौन सागर मप्र,मानस त्रिवेदी निवासी चन्दला छतरपुर मप्र,महोबा निवासी हृदेश व ललितपुर के मसौराकला निवासी भूपेन्द्र प्रजापति बताए। उक्त के पास से पुलिस ने कुल 37 हजार 600 रुपए,15 मोबाइल व यश बैंक की चेक बुक समेत माइण्ड मूवर ऑफिस नोयडा के विजिटिंग कार्ड, दो आधार कार्ड, दो पैन कार्ड बरामद किए। डीआईजी ने 14 सदस्यीय टीम को 40 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है।
ऐसे बुनते थे ठगी का ताना-बाना
पूछतांछ में पकड़े गए अभियुक्तों ने बताया कि वे लोग कई वर्षों से योजनावद्ध तरीके से नोयडा सेक्टर 62 आईथम पाॅवर आॅफिस नम्बर 833 में माइण्ड मूवर नाम से आॅफिस चलाते थे। वहां नीट की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के रोल नम्बर व डाटा एकत्र कर टेली काॅलरों से काॅल कराकर आॅफिस में छात्र-छात्राओं व अभिभावकों को बुलाकर मेडिकल काॅलेजों में एमबीबीएस में सरकारी कोटे से प्रवेश कराने के नाम पर 20 लाख की मांग करते थे।
मेडिकल काॅलेज के चर्म रोग विभाग की ओपीडी में चलता था गोरख धंधा
जिन लोगों से सौदा तय हो जाता था,उन लोगों को एक निर्धारित प्रति देकर मेडिकल काॅलेज झांसी बुलाया जाता था। ओपीडी बंद होने के बाद चर्म रोग विभाग की ओपीडी का उपयोग करते थे। इस कार्य में चर्म रोग विभाग के कुछ कर्मचारी भी शामिल थे। हालांकि पुलिस विभाग के एक गार्ड को चिन्हित कर चुकी है। जबकि अन्य कर्मचारियों की जन्मकुण्डली खंगाली जा रही है। प्रवेश की फर्जी प्रक्रिया कराकर अब तक 16 व्यक्तियों से एक करोड़ साठ लाख की ठगी कर चुके हैं। अभियुक्तों ने बताया कि ठगी का कुछ रुपया नगद व कुछ बैंक खातों में जमा कर रखे थे।
सतर्कता से किया जाता था मोबाइलों को प्रयोग
साथ ही बताया कि जिन मोबाइल नम्बरों से छात्र-छात्राओं को काॅल की जाती थी। वे नम्बर दूसरे थे और गिरोह के लोग आपस में बात करने के लिए वन-टू-वन नम्बरों से बात करते थे। ताकि उनकी पहचान छुपी रहे और पकड़ में न आ सकें। गिरोह का कोई भी सदस्य अपने सही नाम और मोबाइल नम्बर किसी को नहीं बताते थे।
साथ में चलती थी कवर करने वाली टीम
इनकी टीम के साथ इन्हें कवर करने के लिए एक दूसरी टीम भी काम करती थी। वह टीम कभी होटलों में नहीं रुकती थी। बल्कि अलग-अलग रहकर इस टीम पर नजर रखती थी कि यदि कोई संदेह हो तो तुरंत उन्हें एलर्ट किया जा सके।
नोएडा ऑफिस में होती थी हर भाषा बोलने वाली लड़कियां
नोयडा ऑफिस में काम करने वाली लड़कियां विभिन्न भाषाओं की जानकार रखी जाती थी। उन्हें अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होता था। ताकि वे किसी भी प्रदेश की भाषा में बात करने वाले अभ्यर्थियों को डील कर सकें।