देहरादून: कैबिनेट की बैठक में शुक्रवार को जोशीमठ संकट को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए। सरकार के सभी मंत्री एक महीने का वेतन सीएम राहत कोष में दान करेंगे। इसके अलावा जोशीमठ के लोगों का छह महीने का बिजली और पानी बिल माफ करने और विस्थापित हर परिवार के दो लोगों को मनरेगा में काम देने का भी महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट बैठक में जोशीमठ को लेकर विशेष चर्चा हुई। मुख्य सचिव एसएस संधु तथा आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में बताया कि मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार राहत शिविर में रह रहे लोगों को 450 रुपये प्रतिदिन दिए जाएंगे और प्रभावित लोगों को मनरेगा की तर्ज पर रोजगार दिया जाएगा। सरकार ने प्रभावितों के बिजली, पानी के बिल माफ करने का निर्णय लिया है। सभी मंत्रियों ने निर्णय लिया है कि वह जोशीमठ आपदा के लिए एक माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष देंगे। जोशीमठ में आए दिन बदलाव के लिए मुख्यमंत्री को तात्कालिक निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। प्रदेश के मुख्य सचिव तथा सचिव आपदा रंजीत सिन्हा ने बताया कि आपदा पीड़ितों को बसाने के लिए हेलंग, पीपलकोटी और ढाक के क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, जहां जोशीमठ के विस्थापितों को बसाया जाएगा। इसी बैठक में राहत शिविर के लिए मानक तय किए गए। आपदा राहत प्रबंधन मद से अब राज्य के शहरों का सर्वेक्षण होगा। कौन से शहर की क्षमता क्या है, इसका भी सर्वेक्षण होगा। इसकी शुरुआत पर्वतीय क्षेत्रों से की जाएगी। जोशीमठ के लिए मंत्रिमंडल ने 45 करोड़ की राशि तय की है।