रांची। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितंबर से लेकर गांधी जयंती 2 अक्टूबर तक राज्य सरकार पूरे राज्य में श्रमशक्ति अभियान चलाने जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के लाखों कामगारों को निबंधित कर उनके लिए बनी केंद्र और राज्य की योजनाओं का लाभ दिलाना है। वर्णवाल ने इसे एक चुनौतीपूर्ण कार्य बताते हुए कहा कि हमें गांव व शहरों से लेकर लातेहार के सरयू और लोहरदगा के पेशरार जैसे सुदूर दुर्गम स्थानों के मजदूरों को भी इससे जोड़ना है। इसके लिए प्रचार-प्रसार पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा असंगठित क्षेत्र के एक-एक कामगार को जागरूक कर उनका हक दिलाना है। इसी मकसद से तमाम जिला तथा प्रखंड समन्वयकों सहित श्रम प्रसार पदाधिकारियों और श्रमाधीक्षकों के साथ प्रधान सचिव शनिवार को बैठक कर उन्होंने शत प्रतिशत मजदूरों के निबंधन पर बल दिया।
मुख्यमंत्री 25 सितंबर को करेंगे अभियान की शुरुआत
श्रमशक्ति अभियान की लांचिंग मुख्यमंत्री रघुवर दास रांची से 25 सितंबर को करेंगे। उनके संबोधन और निर्देशों को तमाम जिलों और प्रखंडों में असंगठित क्षेत्र के मजदूर लाइव देख-सुन सकेंगे। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने समय रहते इसकी मुकम्मल तैयारी कर लेने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि अगर इसमें कोई कठिनाई आ रही हो तो समय रहते उसका निराकरण भी कर लें। बेहतर समन्वय के लिए उन्होंने निर्देश दिया कि सभी प्रखंड श्रम प्रसार पदाधिकारी प्रखंड समन्वयकों के साथ बैठक कर कार्ययोजना बना लें। वहीं सभी श्रमाधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे शहरी क्षेत्रों में नगर निगम और निकाय के साथ समन्वय बनाकर शत प्रतिशत मजदूरों के निबंधन की रणनीति बना लें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में उपायुक्तों से लेकर सभी बीडीओ तक की भी भागीदारी होगी।
निबंधन कर कामगारों का बनेगा डाटाबेस
वर्णवाल ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों के निबंधन के लिए सिर्फ उनके बैंक पासबुक की फोटोकॉपी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निबंधन का मकसद कामगारों का डाटाबेस बनाकर उनकी डिजिटल पहचान सुनिश्चित करना है, ताकि उन्हें उनके लिए बनी योजनाओं का ससमय लाभ दिया जा सके। वहीं भविष्य में उनके लिए कोई नई योजना बनती है तो मिनटों में उन्हें इसकी जानकारी एसएमएस व वायस मैसेज के माध्यम से दी जा सके। उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर तक पहुंचने के बाद अभियान को पंचायत स्तर तक ले जाना है।