उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन ने अगर ताइवान पर कब्जा किया तो पूरे एशिया में इसके गंभीर और विनाशकारी परिणाम होंगे. फॉरेन अफेयर्स पत्रिका में ताइवान की राष्ट्रपति ने ये लेख लिखा है. उन्होंने कहा कि ताइवान सैन्य टकराव नहीं चाहता, लेकिन अपने आपको बचाने के लिए के लिए जो भी करना पड़ेगा, उसे करने से ताइवान नहीं चूकेगा.
गौरतलब है कि उनका ये बयान एक ऐसे वक्त में आया है जब चीन ताइवान पर जबरदस्त दबाव बना रहा है. ताइवान अपने आपको एक स्व-शासित लोकतांत्रिक द्वीप के तौर पर देखता रहा है लेकिन चीन का मानना है कि ताइवान उसका हिस्सा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके हैं कि ताइवान पर चीन का कब्जा निश्चित रूप से होगा.
ताइवान पर लगातार कब्जे की कोशिश करता रहा है चीन
बता दें कि चीन के राष्ट्रीय दिवस पर शुक्रवार को 38 लड़ाकू विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में दो बार उड़ान भरी और इसे चीन द्वारा अब तक सबसे बड़ा अतिक्रमण बताया गया था. साल 2016 में ताइवान में हुए राष्ट्रपति चुनावों के बाद से चीन ने इस क्षेत्र में सैन्य, राजनयिक और आर्थिक दबाव को बढ़ाया है क्योंकि इन चुनावों में इंग-वेन ने जीत हासिल की थी और वे ताइवान को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानती रही हैं और उन्होंने ये भी लगातार कहा है कि ताइवान चीन का हिस्सा नहीं है.
गौरतलब है कि चीन एक महाशक्ति होने के बावजूद क्यूबा से भी छोटे द्वीप ताइवान पर अब तक सैन्य हमला नहीं कर पाया है. चीन से महज 180 किलोमीटर दूर ताइवान की भाषा और पूर्वज चीनी ही हैं लेकिन वहां की राजनीतिक व्यवस्था काफी अलग है. हालांकि चीन अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन कर ताइवान को दबाव में डालने की कोशिश करता रहा है.