नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के बारे में विपक्ष पर देश में भ्रम फैलाकर हिंसा और अशांति का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने देशवासियों का आह्वान किया कि वह हाथ में तिरंगा लेकर साजिश के इस नए दौर को नाकाम बनाएं। प्रधानमंत्री रविवार को राजधानी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने सीएए और एनआरसी के बारे में अपने करीब सौ मिनट से ज्यादा के संबोधन में कहा कि हिंसा और अशांति से किसी का भला होने वाला नहीं है। नए कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो किसी भारतीय नागरिक को मजहब के आधार पर नागरिकता से वंचित करे। उन्होंने कहा, ‘भारत की मिट्टी के मुसलमान और मां भारती के बेटे-बेटियों से नागरिकता कोई नहीं छीन सकता।’ उन्होंने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया तो शुरू ही नहीं हुई है। न तो इस संबंध में कोई फैसला हुआ है न ही कैबिनेट की बैठक हुई है।
मोदी ने कांग्रेस के सोनिया गांधी परिवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वामपंथी-दलित नेताओं को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिन्दू, सिख आदि अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारत में शरण देने की बात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी की थी। उन्होंने विपक्षियों से कहा कि यदि वे मोदी की बात पर भरोसा नहीं करते तो उन्हें कम से कम राष्ट्रपिता की बात को स्वीकार करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सीएए पर संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में जनमत संग्रह कराने की मांग की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘ममता दीदी तो कोलकाता से सीधे संयुक्त राष्ट्र पहुंच गईं।’ उन्होंने ममता को याद दिलाया कि कई वर्ष पहले उन्होंने लोकसभा में स्वयं बांग्लादेश से घुसपैठ का विरोध किया था।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती और अन्य दलित नेताओं का नाम लिये बिना मोदी ने कहा कि पाकिस्तान से आए अधिकतर शरणार्थी दलित और वंचित वर्ग के हैं। भारत के दलित नेताओं को धार्मिक प्रताड़ना के शिकार उन दलितों से तो हमदर्दी नहीं है।
मोदी ने वास्तविक शरणार्थी और घुसपैठिये में अंतर को साफ करते हुए कहा, ‘शरणार्थी अपनी पहचान नहीं छुपाता और घुसपैठिया अपनी पहचान नहीं बताता।’ उन्होंने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न और बहू-बेटियों की इज्जत बचाने के लिए जो शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आता है वह सबसे पहले किसी न किसी सरकारी कर्मचारी, अधिकारी से संपर्क कर गुहार लगाता है कि वह पाकिस्तान से आया है। उसे शरण चाहिए । घुसपैठिये का व्यवहार इसके ठीक उल्टा होता है। वह अपनी पहचान छुपाता है तथा लोगों के बीच घुलमिल कर भारत के नागरिक होने का जाल रचता है।
प्रधानमंत्री ने राजधानी के मजनूं टीला इलाके के शरणार्थी शिविर में एक बालिका के जन्म की मार्मिक घटना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश की संसद में जब कानून बनाया जा रहा था, उसी समय शरणार्थियों के इस कैंप में एक बच्ची का जन्म हुआ जिसका नामकरण मां-बाप ने ‘नागरिकता’ किया। उन्होंने विरोधियों से कहा कि क्या वे ‘नागरिकता’ की नागरिकता छीनने का अभियान चला रहे हैं।
मोदी ने संसद में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्होंने बांग्लादेश से हिन्दू अल्पसंख्यकों को भारत में आश्रय देने की बात कही थी। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने राज्यों में अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देने की मांग करते रहे हैं । प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के नेता जो मांग करते रहे हैं, मौजूदा सरकार ने तो केवल उस मांग के पूरा किया है।
मोदी ने देश के विभिन्न भागों में हिंसक प्रदर्शन और विरोध की चर्चा करते हुए कहा कि यह सब ‘कौआ कान ले गया’ की अफवाह पर आधारित है। लोगों को कौवे की ओर देखने की बजाय अपना कान देखना चाहिए। उन्होंने देशवासियों, विशेषकर युवा वर्ग से आग्रह किया कि वे नागरिकता संशोधन अधिनियम का स्वयं अध्ययन करें तथा इस संबंध में फैली भ्रांतियों को दूर करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली की एक हजार से अधिक अनधिकृत कालोनियों के लोगों को जमीन, मकान का मालिकाना हक दिलाने के लिए संसद के पिछले सत्र में कानून पारित किया गया। सरकार ने इन 40 लाख लोगों से न तो उनका धर्म-जाति पूछा, न ही उनसे वर्ष 1970 या उससे पहले के किसी दस्तावेज की मांग की।
गरीबों को रसोई गैस कनेक्शन देने, आयुष्मान भारत के तहत चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने, गरीबों को आवास देने जैसी सरकारी योजनाओं में ना तो किसी से जाति-धर्म पूछा गया, ना कोई दस्तावेज मांगे गए। उन्होंने विपक्षियों से पूछा कि आखिर वे किस आधार पर अफवाह फैला रहे हैं । जिस संसद में 40 लाख लोगों को जमीन-मकान का मालिकाना हक देने का कानून बनता हो, उसी समय नागरिकता से वंचित करने का कानून बनाने की बात कैसे की जा सकती है। विपक्षी नेता यदि बुद्धि का थोड़ा भी इस्तेमाल करें तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हो जाएगा।
मोदी ने कहा कि सच्चाई यह है कि विपक्षी दल वर्ष 2019 के चुनावों में उन्हें मिले जनादेश के सदमे से उबर नहीं पाए हैं। विपक्षियों को यह बात बर्दाश्त नहीं हो रही है कि मोदी दोबारा प्रधानमंत्री कैसे बन गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके खिलाफ साजिश का दौर उसी दिन शुरू हो गया था, जब उन्होंने दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल की ओर संकेत करते हुए कहा कि वास्तव में उनके खिलाफ पिछले दो दशक से अभियान चलाया जा रहा है। उनके प्रति कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा कहे गए ‘मौत का सौदागर’ संबोधन का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें रास्ते से हटाने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है लेकिन वह अपने रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे।
मोदी ने हाल के विरोध प्रदर्शन के दौरान जानमाल की क्षति और पुलिसकर्मियों पर हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि गरीबों का नुकसान कर किसी को क्या हासिल होगा । उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मी दिन रात चुनौतीपूर्ण हालात में देशवासियों के जानमाल की सुरक्षा करते हैं। उन पर हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। आजादी के बाद से अब तक कर्तव्य निभाते हुए 37 हजार पुलिसकर्मियों की शहादत का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया कि व राजधानी में निर्मित पुलिस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दें।
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि यदि वे सरकार की किसी बात से असहमत हैं तो उन्हें अपना आंदोलन और विरोध अहिंसक तरीके से करना चाहिए। देश के मुसलमानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया के मुस्लिम देशों से भारत के आज जितने अच्छे संबंध हैं, उतने पहले कभी नहीं थे। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों से उन्हें मिले नागरिक सम्मानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध के कारण ही वहां कैद भारतीयों को रिहा कराने में सफलता मिली तथा भारतीयों के लिए हज कोटे में बढ़ोतरी हुई।
मोदी ने पड़ोसी मुस्लिम देशों बांग्लादेश और मालदीव के साथ दोस्ताना संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि वास्तव में उन्होंने पाकिस्तान के साथ भी ऐसे ही रिश्ते कायम करने की भरपूर कोशिश की थी। अपने पहले कार्यकाल में शपथ ग्रहण के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को निमंत्रण दिया था तथा मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने के लिए लाहौर की यात्रा तक की थी। अपने इन प्रयासों की असफलता पर प्रधानमंत्री ने कहा ‘बदले में हमें धोखा मिला।’