नई दिल्ली| पिछले सप्ताह लोकसभा की कार्यवाही के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद रमा देवी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद विवादों में घिरे समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आजम खान ने सोमवार को उनसे माफी मांग ली, परंतु वह बयान पर शर्मिदा नहीं दिखे। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उत्तर प्रदेश के रामपुर से सांसद आजम खान से इस मामले पर बोलने को कहा। खान ने इसके बाद कहा, “पूरा सदन मेरे भाषण और आचरण से परिचित है। इसके बाद भी यदि आसंदी को ऐसा लगता है कि मैंने कुछ गलत किया है, तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं।”
उन्होंने कहा कि वह खुद दो बार संसदीय कार्य मंत्री और चार बार मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कहा, “मैं नौ बार विधायक और राज्यसभा का सदस्य भी रह चुका हूं।”संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा अध्यक्ष से निवेदन किया कि वह ‘सही तरीके’ से खान को माफी मांगने को कहें।
जोशी ने कहा कि आजम खान के शब्दों ने समाज की सभी महिलाओं का अपमान किया, जिनमें सदन की महिला सांसद भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, “मैं अपील करता हूं कि वह (आजम खान) सही तरीके से माफी मांगकर मामले को खत्म करें।”अध्यक्ष बिड़ला ने इसके बाद एक बार फिर खान को माफी मांगने के लिए कहा।
खान ने अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा, “मैंने यह बात पहले भी कही थी कि रमा देवी मेरी बहन हैं.. आसंदी का अपमान करना मेरे लिए संभव नहीं है। इसके बावजूद.. मैं माफी मांगता हूं।”
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर चर्चा में भाग लेते हुए खान ने 25 जुलाई को रमा देवी पर एक टिप्पणी की थी। उस समय वह सदन की अध्यक्षता कर रही थीं।सांसद रमा देवी ने खुद महिला विरोधी टिप्पणी पर आपत्ति जताई और इसे संसद के रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया।लोकसभा अध्यक्ष ने सोमवार को रमा देवी को बोलने के लिए कहा।
आजम खान की टिप्पणी से अभी भी नाराज होकर उन्होंने कहा कि खान के बयान से देश भर में महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही ठेस पहुंची है।
रमा ने कहा, “मुझे लगता है कि आजम खान ऐसे बयानों के दर्द को नहीं समझ सकते हैं, क्योंकि वह सदन के बाहर भी इसी प्रकार की बयानबाजी करते रहते हैं। उनका आचरण ठीक नहीं है। लेकिन हम आजम खान के आचरण में अच्छा बदलाव चाहते हैं।”
रमा देवी ने आजम का समर्थन करने के लिए सपा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा।
लोकसभा अध्यक्ष ने इसके बाद कहा कि सदन सबका है और सभी के सहयोग से चलता है। उन्होंने आग्रह किया, “सदस्यों को सदन की गरिमा को प्रभावित करने वाली किसी भी भाषा के इस्तेमाल से बचना चाहिए।”