नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष जगत की अविस्मरणीय घटना बताते हुए मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि हम एक दिन अवश्य कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि लाखों किलोमीटर की यात्रा भी सफलतापूर्वक पूरी करना गर्व की बात है। ऑर्बिटर तो अभी भी घूम रहा है और वह एक साल तक चक्कर लगाएगा।
राष्ट्रपति कोविंद ने शनिवार को यहां विज्ञान भवन में पावन चिंतन धारा आश्रम द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय युवा सम्मेलन ‘ज्ञानोत्सव’ के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा। इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया।
राष्ट्रपति ने चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग का स्मरण करते हुए बताया कि पूर्व में 15 जुलाई को उसे लॉन्च होना था और संयोग से वह उस समय श्रीहरिकोटा में ही थे। हालांकि बाद में इस तारीख को तकनीकी कारणों के चलते 22 जुलाई तक के लिए टाल दिया गया था। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें मिश्न से जुड़े वैज्ञानिकों से मुलाकात का अवसर मिला था। उन्होंने इस बात प्रसन्नता जताई कि मिशन में पुरुष और महिला अनुपात समान था। उन्होंने एक महिला वैज्ञानिक को जिक्र करते हुए बताया कि वह अपने छह माह के छोटे बच्चे को माता-पिता के पास छोड़कर मिश्न पर थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज का भारत युवा शक्ति से भरा हुआ है। हमारे युवाओं में अपार प्रतिभा और ऊर्जा है। इस प्रतिभा और ऊर्जा का समुचित विकास और उपयोग किए जाने की जरूरत है। हमारे देश के 80 करोड़ युवा, अपनी रचनात्मक शक्ति के साथ, भारत को प्रगति और मानव सभ्यता की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या अर्थात् लगभग 80 करोड़ युवा अपनी रचनात्मक शक्ति के बल पर हमारे देश को प्रगति की, मानव-सभ्यता की नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।
कोविंद ने कहा कि हमें अपने, समाज और देश की भलाई और कल्याण के लिए काम करना होगा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सही दृष्टि और विवेक को जगाने में शिक्षा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एक आत्मनिर्भर और राष्ट्रप्रेमी व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में काम करके राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण कार्य में युवाओं को प्रेरित करने में समाज, मनीषियों और चिंतकों की अहम भूमिका होती है। ये मनीषी और चिंतक युवा शक्ति के प्रेरक ‘रोल-मॉडल’ होते हैं। हालांकि ये समय-समय पर बदलते रहते हैं। लेकिन कुछ रोल-मॉडल कभी नहीं बदलते। ऐसे ही एक कालजयी रोल मॉडल स्वामी विवेकानंद हैं। विवेकानंद के विचार दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित करते रहे हैं।
उन्होंने युवाओं से अतीत को जानने का आह्वान करते हुए कहा कि अतीत को जानकर आपको भविष्य के लक्ष्य तय करने हैं। देश और समाज की भलाई के लिए सही दृष्टि और विवेक जागृत करने में शिक्षा की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज का भारत युवा शक्ति से भरपूर है। देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या अर्थात् लगभग 80 करोड़ युवा अपनी रचनात्मक शक्ति के बल पर देश को प्रगति की, मानव-सभ्यता की नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर देखें तो आज से लगभग पांच वर्ष पहले शुरू किए गए ‘स्वचछ भारत मिशन’ की सफलता में युवाओं का अभूतपूर्व योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं में असीम प्रतिभा और ऊर्जा है। इस प्रतिभा और ऊर्जा का समुचित विकास और उपयोग किए जाने की जरूरत है। इस दिशा में प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं और इन प्रयासों के परिणाम भी सामने आने लगे हैं। ज्ञान-विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर खेल के मैदान तक भारत के बेटे-बेटियां विश्व समुदाय पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं।
केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री किरन रिजिजू और ट्रस्ट के संस्थापक गुरू पवन सिन्हा सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।